Saturday 4 August 2012

Intezaar hai

कभी था गुरुर तुम्हारे साथ का
आज दूरियों से जुडी हर बात है
कभी दुनिया  में ऐब  नहीं आता था नजर
आज तोह उलझाने ही जैसे हमसफ़र


ये तन्हाई ऐसी छाई
के अब ये आलम है
के ख्वाबो में भी तुमसे
मुलाक़ात नहीं होती
 तस्सवुर की हकीकत  पे मात नहि होती


एहसास तुम्हारे ना  भुला पाते है
और नहीं होते है हासिल
हर घडी  तुम्हारी यादो से परेशां है ये दिल


कभी हर राह पे तुम्हारे चर्चे होते थे
आज तुम्हारे जिक्र से भी टूटती नहीं ये खामोशिया
जाहा थे तुम्हारे जलवे और तुम्ही से जहा होती बहार है
वही आज विराना है , मै हु और तुम्हारा इन्तेजार  है





Yaad teri dhua dhua

दूरियों से सुलगती है
याद तेरी धुआ धुआ 


एक तो ये मदहोशी बेपन्हा 
उसपे ये बेचैनी खामखा 
उसपे इतना सताती है
याद तेरी धुआ धुआ 


रोके से नहीं रुके ये तूफा 
हर तरफ है फैला तस्वीरो का आसमा 
बेवक्त ही आ जाती है 
याद तेरी धुआ धुआ 


कैसे इसको समझाए ये मजबूरी 
ख्वाइशो के साथ सब्र भी है जरूरी 
एक झलक तो तरसती है 
याद तेरी धुआ धुआ  


पर अकेलेपन में तन्हाई में 
मायूसी की गहराई में 
दिल को बेहेलाती  है ,  समझती  है 
प्यार से सेहेलाती है 
याद तेरी धुआ धुआ